۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
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हौज़ा/जनता द्वारा निर्वाचित वरिष्ठ धर्मगुरुओं की सभा ‘विशेषज्ञ असेंबली’ के अध्यक्ष और सदस्यों ने गुरूवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की,और इस मुलाकात के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जनता द्वारा निर्वाचित वरिष्ठ धर्मगुरुओं की सभा ‘विशेषज्ञ असेंबली’ के अध्यक्ष और सदस्यों ने गुरूवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की,और इस मुलाकात के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मौक़े पर शाबान महीने के आगमन की मुबारकबाद पेश करते हुए, विशेषज्ञ असेंबली को प्रजातंत्र और इस्लामियत के इकट्ठा होने का वास्तविक प्रतीत बताया। उन्होंने कहा कि यह असेंबली प्रजातंत्र के सही व मुकम्मल तौर पर व्यवहारिक होने की मिसाल की हैसियत से अवाम की ओर से चुनी गयी असेंबली है जो धर्मगुरुओं पर आधारित होने के साथ ही शासन व्यवस्था के धार्मिक रूप की तस्वीर पेश करती है।

उनका कहना था कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था के भीतर विशेषज्ञ असेंबली की पोज़ीशन, अहमियत और संवेदनशीलता किसी भी विभाग और संस्था से ज़्यादा  है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि यह असेंबली, सुप्रीम लीडर का चयन करने वाली भी है और अपनी निगरानी से यह सुनिश्चित करती है कि रहबरे इंक़ेलाब के अंदर सारी ज़रूरी शर्तें मौजूद हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने विशेषज्ञ असेंबली की ओर से मुल्क के मुख़्तलिफ़ मामलों की निगरानी को, सुप्रीम लीडर की इच्छा पर अमल और एक सही काम बताते हुए कहा कि सारे मसलों से ज़्यादा अहम विशेषज्ञ असेंबली के सदत्यों का भीतरी व बाहरी ज़िम्मेदारियों पर गंभीरता से अमल करना है।

उन्होंने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की शर्तो के यथावत मौजूद रहने और संविधान के तहत सुप्रीम लीडर की ज़िम्मेदारियों और दूसरे निश्चित फ़रीज़ों की इस असेंबली द्वारा निगरानी को बहुत अहम बताया और कहा कि इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की सबसे अहम ज़िम्मेदारी, मुल्क और व्यवस्था के अहम हिस्सों को इंक़ेलाब की सही दिशा में आगे बढ़ाना है ताकि अस्ल रास्ते से भटकाव न होने पाए और इस्लामी इंक़ेलाब, दूसरे इंक़ेलाबों की तरह रास्ते से हट न जाए।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने विशेषज्ञ असेंबली से दुश्मनी को, इस्लामी गणराज्य से दुश्मनी के बराबर क़रार देते हुए कहा कि इस्लामी गणराज्य से कुछ दुश्मनियां सियासी मसलों और फ़िलिस्तीन के मामले में उसके स्टैंड की वजह से हैं लेकिन कुछ दुश्मनी ख़ुद इस्लामी सिस्टम और उसके ढांचे से है।

उन्होंने ईरान के इस्लामी सिस्टम से दुश्मनी की वजह की व्याख्या करते हुए कहा कि इस्लामी गणराज्य उन लोगों के ख़िलाफ़ डट गया जो पश्चिमी प्रजातंत्र पर भरोसा रखते थे और सामाजिक मामलों मे धर्म के हर प्रकार के रोल के ख़िलाफ़ थे, इसी तरह यह सिस्टम लिबरल डेमोक्रेसी के सरग़नाओं के सामने भी डट गया जिन्होंने आज़ादी और प्रजातंत्र के नक़ली परचम के साए में दुनिया पर क़ब्ज़े और उसके संसाधनों को लूटने की साज़िश तैयार कर रखी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ने धर्म के साथ प्रजातंत्र और आज़ादी को एक परचम के नीचे एकट्ठा करके उनकी साज़िशों पर पानी फेर दिया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने विशेषज्ञ असेंबली के सदस्यों की दूसरी ख़ुसूसियत उनका धर्मगुरू होना बताया और कहा कि इस्लामी गणराज्य को ठोस जनाधार और अवाम व सिस्टम का एक दूसरे से मज़बूत रिश्ता और एक दूसरे पर भरोसा, ऐसी क़ौमी संपत्ति और दुनिया में ऐसी अटल व बेनज़ीर हक़ीक़त है जिसकी झलक हमने कोरोना के फैलाव और प्राकृतिक आपदा के वक़्त मदद में अवाम की भागीदारी में देखी है।

उन्होंने इस साल के 11 फ़रवरी को इस्लामी इंक़ेलाब की सालगिरह के जुलूसों को इस्लामी गणराज्य व्यवस्था को मज़बूत जनाधार की एक और झलक बताया और कहा कि दुनिया में एक सियासी विषय के लिए कहाँ पर इस तरह अवाम का शानदार जुलूस दिखाई देता है जिसमें अवाम इतनी बड़ी तादाद में मुख़्तलिफ़ रुझानों के साथ, झुकी हुयी कमर वाले बूढ़ों से लेकर बच्चों और नौजवानों तक चालीस पैंतालीस साल से लगातार हर बरस और सख़्त मौसम में, हर साल मैदान में आते हैं?

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि अवाम की भरपूर मौजूदगी ने हम अधिकारियों और ओलमा के लिए अपना फ़ैसला सुना दिया है अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस अवामी सपंत्ति की हिफ़ाज़त करें, इसमें इज़ाफ़ा करें और इस सिलसिले में अपने फ़रीज़ों पर अमल करें।

उन्होंने अवाम के भरपूर योगदान और ठोस जनाधार को ख़तरों को दूर करने वाली बेपनाह दौलत का नाम दिया और इसके वजूद को इस्लामी सिस्टम के लिए बहुत क़ीमती बताया और कहा कि ओलमा पर चाहे उनके पास सरकारी ओहदा हो या न हो, इस अज़ीम संपत्ति की रक्षा की भारी ज़िम्मेदारियां हैं जिनमें सबसे अहम सच्चाई को बयान करने का जेहाद है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच के आख़िरी भाग में अवाम में उम्मीद जगाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि दुश्मन मायूसी पैदा करने की नीति पर लगातार काम कर रहा है। उन्होंने सन 1990 में एक सियासी गुट की ओर से मुल्क के आला ओहदेदार को लिखे गए ख़त की ओर इशारा करते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के इंतेक़ाल के एक साल बाद उस गिरोह ने पूरी तरह मायूसी फैलाने वाले खुले ख़त में लिखा था कि मुल्क और क़ौम तबाही व बर्बादी के मुहाने पर पहुंच चुकी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि जिन लोगों की अपनी पहचान तबाही और बर्बादी के मुहाने पर है, वे हर चीज़ को उसी नज़र से देखते हैं लेकिन इसके मुक़ाबले में, जिनके दिल और मन में उम्मीद भरी होती है वे मामलों और हालात को उम्मीद की नज़रों से देखते हैं।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में विशेषज्ञ असेंबली के उपप्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद इब्राहीम रईसी ने असेंबली के हालिया सत्र के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।

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